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09-04-2025

IL&FS के पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ होगी कार्यवाही

  •  नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक और इंडियन बैंक को आईएलएंडएफएस के उन पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ कार्यवाही करने की अनुमति दे दी है, जो नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल नहीं हैं। हालांकि, अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि वे निदेशक जो एक अक्टूबर, 2018 के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) और इसकी विभिन्न अनुषंगी कंपनियों के नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का हिस्सा हैं, इससे पूरी तरह से अलग और संरक्षण के दायरे में होंगे। अपीलीय न्यायाधिकरण के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण और सदस्य बरुण मित्रा की पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह संरक्षण उन पेशेवर डायरेक्टर्स को भी मिलेगा, जिन्हें आईएलएंडएफएस और इसकी सहायक कंपनियों में फिर से नियुक्त किया गया है और जो वर्तमान बोर्ड का हिस्सा हैं। आईएलएंडएफएस और आईएलएंडएफएस समूह के संबंध में...हम बैंक को उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए आवेदन करने की अनुमति देते हैं।’’ कंपनी पर 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज सामने आने के बाद सरकार ने एक अक्टूबर, 2018 को आईएलएंडएफएस के नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का गठन किया था। इसके अलावा, अपीलीय न्यायाधिकरण ने 15 अक्टूबर, 2018 को मामले की प्रकृति, व्यापक सार्वजनिक हित और देश की अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए आईएलएंडएफएस और इसकी समूह कंपनियों के खिलाफ कर्जदाताओं और अन्य पक्षों द्वारा कुछ कार्रवाइयों पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था। इसने आईएलएंडएफएस समूह के खिलाफ मुकदमा या कोई कानूनी कार्यवाही शुरू करने और जारी रखने पर रोक लगा दी थी। पिछले सप्ताह कार्यवाही के दौरान, आईएलएंडएफएस ने कहा था कि 15 अक्टूबर, 2018 के आदेश के मद्देनजर, सभी व्यक्तियों को आईएलएंडएफएस और इसकी समूह इकाइयों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया गया है। इसके तहत कंपनी के निदेशक भी संरक्षित हैं। हालांकि, केनरा बैंक और इंडियन बैंक के वकील ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि कंपनियों के तत्कालीन डायरेक्टर्स को उनके कार्यों के संबंध में केवल कारण बताओ नोटिस जारी किये गये थे, जो उस समय संबंधित मामलों को देख रहे थे। ऐसे में प्रक्रिया को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परिपत्र के अनुसार आगे बढ़ाने और पूरा करने की आवश्यकता है। इस पर आईएलएंडएफएस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन ने कहा कि आईएलएंडएफएस को पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ कार्यवाही के संबंध में कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते कि वे वर्तमान बोर्ड का हिस्सा न हों, जिसे एनसीएलटी की मंजूरी प्राप्त है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने मामले में निर्देश देते हुए कहा, ‘‘ कुछ पेशेवर निदेशक जो पहले कंपनी में थे, उन्हें बोर्ड में फिर से नियुक्त किया गया है। उन्हें संरक्षण दिया जाता है।

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IL&FS के पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ होगी कार्यवाही

 नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक और इंडियन बैंक को आईएलएंडएफएस के उन पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ कार्यवाही करने की अनुमति दे दी है, जो नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल नहीं हैं। हालांकि, अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि वे निदेशक जो एक अक्टूबर, 2018 के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) और इसकी विभिन्न अनुषंगी कंपनियों के नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का हिस्सा हैं, इससे पूरी तरह से अलग और संरक्षण के दायरे में होंगे। अपीलीय न्यायाधिकरण के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण और सदस्य बरुण मित्रा की पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह संरक्षण उन पेशेवर डायरेक्टर्स को भी मिलेगा, जिन्हें आईएलएंडएफएस और इसकी सहायक कंपनियों में फिर से नियुक्त किया गया है और जो वर्तमान बोर्ड का हिस्सा हैं। आईएलएंडएफएस और आईएलएंडएफएस समूह के संबंध में...हम बैंक को उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए आवेदन करने की अनुमति देते हैं।’’ कंपनी पर 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज सामने आने के बाद सरकार ने एक अक्टूबर, 2018 को आईएलएंडएफएस के नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का गठन किया था। इसके अलावा, अपीलीय न्यायाधिकरण ने 15 अक्टूबर, 2018 को मामले की प्रकृति, व्यापक सार्वजनिक हित और देश की अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए आईएलएंडएफएस और इसकी समूह कंपनियों के खिलाफ कर्जदाताओं और अन्य पक्षों द्वारा कुछ कार्रवाइयों पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था। इसने आईएलएंडएफएस समूह के खिलाफ मुकदमा या कोई कानूनी कार्यवाही शुरू करने और जारी रखने पर रोक लगा दी थी। पिछले सप्ताह कार्यवाही के दौरान, आईएलएंडएफएस ने कहा था कि 15 अक्टूबर, 2018 के आदेश के मद्देनजर, सभी व्यक्तियों को आईएलएंडएफएस और इसकी समूह इकाइयों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया गया है। इसके तहत कंपनी के निदेशक भी संरक्षित हैं। हालांकि, केनरा बैंक और इंडियन बैंक के वकील ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि कंपनियों के तत्कालीन डायरेक्टर्स को उनके कार्यों के संबंध में केवल कारण बताओ नोटिस जारी किये गये थे, जो उस समय संबंधित मामलों को देख रहे थे। ऐसे में प्रक्रिया को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परिपत्र के अनुसार आगे बढ़ाने और पूरा करने की आवश्यकता है। इस पर आईएलएंडएफएस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन ने कहा कि आईएलएंडएफएस को पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ कार्यवाही के संबंध में कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते कि वे वर्तमान बोर्ड का हिस्सा न हों, जिसे एनसीएलटी की मंजूरी प्राप्त है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने मामले में निर्देश देते हुए कहा, ‘‘ कुछ पेशेवर निदेशक जो पहले कंपनी में थे, उन्हें बोर्ड में फिर से नियुक्त किया गया है। उन्हें संरक्षण दिया जाता है।


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