मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल कंजम्पशन पूल में नॉर्थ अमेरिका और वेस्टर्न यूरोप जैसे परंपरागत क्षेत्रों से भारत और एमरजिंग एशिया की ओर बड़ा शिफ्ट दिखाई दे रहा है। बढ़ती इनकम, पॉजिटिव डेमोग्राफी और कंज्यूमर प्रिफरेंस में बदलाव आने के कारण इन क्षेत्रों का ग्लोबल कंजम्पशन सीनारियो में महत्व बढ़ रहा है। विकासशील देश ग्लोबल मैनपावर सप्लाई और कंजम्पशन दोनों के लिहाज से नए अक्ष के रूप में डवलप हो रहे हैं और आने वाले दश्कों में इनकी प्रॉडक्टिविटी और समृद्धि ग्लोबल इकोनॉमिक सिस्टम के लिए ग्रोथ ड्राइवर का काम करेगी। रिपोर्ट के अनुसार भारत और एमरजिंग एशिया के देश 2050 तक पीपीपी के आधाप पर ग्लोबल कंजम्पशन में 30 परसेंट योगदान देने लगेंगे जो 1997 में केवल 12 परसेंट ही था। जबकि एडवांस्ड एशिया, नॉर्थ अमेरिका और वेस्टर्न यूरोप का ग्लोबल कंजम्पशन में कुल शेयर 30 परसेंट रह जाने का अनुमान है जो 1997 में 60 परसेंट था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे भारत और एमरजिंग एशिया जैसे क्षेत्रों में आय और खपत के पैटर्न में सुधार होगा व्यवसायों को बदलते लोकल टेस्ट और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए अपनी स्ट्रेटेजी को फाइनट्यून करने की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में कहा गया कि 2050 तक दुनिया में सीनियर सिटिजन्स का शेयर 1997 के मुकाबले दोगुना होकर एक चौथाई तक पहुंच जाएगा।
