अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने अब हारवर्ड यूनिवर्सिटी को निशाने पर ले लिया है। ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि वह इस यूनिवर्सिटी को मिलने वाले 9 बिलियन डॉलर के फैडरल फंड की समीक्षा कर रहा है। ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि हारवर्ड यूनिवर्सिटी के कैंपसों में इजरायल (यहूदी) विरोधी इकोसिस्टम काम करता है। हाल के वर्षों में अमेरिका की कई यूनिवर्सिटी में इजरायल विरोधी भावनाएं तेजी से भडक़ाई गई हैं। माना जा रहा है फंडिंग पर कैंची चलाकर ट्रंप प्रशासन अमेरिकी यूनिवर्सिटियों पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे अपनी चरमपंथ और वामपंथ को हवा देने वाली पॉलिसी को बदलें। इजरायल-गाजा युद्ध के विरोध में पिछले वर्ष अमेरिका के कई संस्थानों में एंटी इजरायल प्रदर्शन हुए थे जिन्हें बाइडन की सरकार ने बेरहमी से कुचल दिया था। मामला इतना बढ़ गया था कि इन प्रदर्शनों में भाग लेने वाले छात्रों को कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने नौकरी के लिए ब्लैकलिस्ट करने तक की धमकी दे दी थी। आप जानते ही हैं कि अमेरिका के कॉर्पोरेट्स में इजरायल समर्थक यहूदी लॉबी का दबदबा है। हालांकि आलोचकों का कहना है कि हारवर्ड यूनिवर्सिटी पर यह कार्रवाई कठोर है जो अकादमिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर चोट करती है। हारवर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा कि यदि इस फंडिंग को रोक दिया जाता है, तो जीवन रक्षक रिसर्च और कई साइंटिफिक प्रॉजेक्ट व इनोवेशन का काम प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि हारवर्ड पिछले 15 महीनों से यहूदी-विरोध भावना को कंट्रोल करने पर काम कर रहा है। इसी महीने ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की 40 करोड़ डॉलर की फंडिंग रद्द कर दी थी। कोलंबिया ने हाल ही कहा कि वह पॉलिसी में बदलाव करने के लिए ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत कर रहा है। फंडिंग रोकने के साथ ही पिछले महीने कुछ विदेशी छात्र प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है जिन्हें देश से निकाला जा रहा है। मार्च में ही ट्रंप प्रशासन ने ट्रांसजेंडर स्पोर्ट्स पॉलिसी को लेकर पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी की 17.5 करोड़ डॉलर की फंडिंग रोक दी थी। शिक्षा विभाग ने इस महीने हारवर्ड सहित 60 यूनिवर्सिटियों को भेजे एक लैटर में चेतावनी दी है कि अगर वे अपने परिसरों में यहूदी छात्रों की रक्षा करने में विफल रहे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।