टैरिफ टेरर ने क्रूड ऑइल की धार को कुंद कर दिया है। ब्रेंट क्रूड पिछले सप्ताह 11 परसेंट टूटा था और सोमवार (शाम 5.30 बजे) को यह 2.32 परसेंट और टूटकर 64.06 डॉलर के लेवल तक फिसल गया। इस तरह ब्रेंट क्रूड अप्रैल 2021 के बाद यानी चार साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। नायमैक्स क्रूड भी 60 डॉलर के नीचे पहुंच चुका है। डब्ल्यूटीआई क्रूड वायदा 3 परसेंट से ज्यादा टूटकर $59.78 प्रति बैरल तक पहुंच गया। इसमें पिछले सप्ताह 10.6 परसेंट की गिरावट आई थी। सऊदी अरामको मई के लिए एशिया के बड़े बायर्स को अरब लाइट क्रूड पर 2.30 डॉलर प्रति बैरल का डिस्काउंट देगी। अभी हाल ही ओपेक+ देशों में प्रॉडक्शन बढ़ाने की घोषणा की थी। रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से ग्लोबल मंदी की आशंका जताई जा रही है, जिससे महंगाई बढऩे और फिर डिमांड में भारी कमी की आशंका है। ट्रंप टैरिफ की वजह से क्रूड ऑयल की प्राइस पर जबरदस्त दबाव पड़ा है। टैरिफ के मोर्चे पर दुनिया दो अखाड़ों में बंट चुकी है। एक तरफ अमेरिका है और दूसरी तरफ पूरी दुनिया है। चीन ने अमेरिका के ऊपर जवाबी हमला करते हुए 34 परसेंट इंपोर्ट टैरिफ लगाने से दुनिया ट्रेड वॉर के एक कदम और नजदीक पहुंच गई है। हालांकि यूरोपियन यूनियन ने थोड़ी नर्मी दिखाते हुए कहा है कि वह अमेरिका के साथ बातचीत करना चाहती है। भारत भी अमेरिका पर जबावी कार्यवाही करने के बजाय बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट पर फोकस बढ़ा रहा है। कनाडा ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है तो जापान ने ट्रंप टैरिफ को जापान ने राष्ट्रीय आपदा तक घोषित कर दिया है। साथ ही जापान ने अमेरिका पर जबावी कार्यवाही से भी मना कर दिया है। हालांकि ट्रंप के टॉप अधिकारियों ने निवेशकों के मंदी और महंगाई के डर को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है। ट्रंप ने चीन के जवाबी टैरिफ को घबराहट में लिया हुआ फैसला बता दिया और कहा कि बाजार में जो भी गिरावट है वो विदेशी निवेशकों की ओर से जानबूझकर की गई है। इतना ही नहीं टैरिफ के मोर्चे पर फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच जुबानी जंग भी देखने को मिली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि नए अमेरिकी टैरिफ उम्मीद से कहीं ज्यादा है। उन्होंने चेतावनी दी कि महंगाई बढऩे और ग्रोथ घटने के आर्थिक प्रभाव भयंकर हो सकते हैं। इस पर ट्रंप ने जेरोम पॉवेल को जबाव देते हुए कहा कि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का यही सही समय होगा। वह हमेशा ...देर से... करते हैं। लेकिन अब वह अपनी छवि बदल सकते हैं, और जल्दी से ब्याज दरों में कटौती करें और राजनीति करना बंद करें। कच्चे तेल के मोर्चे पर अगर कीमतें गिरती हैं तो ये भारत जैसे देशों के लिए अच्छा है। हालांकि ट्रंप ने इसके पहले ओपेक+ पर तेल की कीमत में कटौती करने का दबाव बनाया था, जिसके बारे में उनका कहना है कि महंगाई को कम करने और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में मदद करने के लिए रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए इसकी जरूरत है। सऊदी अरब ने अमेरिका और यूरोप के लिए भी कीमतों में कमी की, हालांकि ये कमी एशियाई खरीदारों के मुकाबले में बहुत कम थी।