यह कुछ वैसा हुआ जैसे ट्रेन छूट गई। 100 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन वाले टेक स्टार्टअप्स आईपीओ लाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन मार्केट के करेक्शन ने इनकी हाई होप्स (बड़ी उम्मीद) को क्रेशलैंड करा दिया। सितंबर 2024 में सेंसेक्स 85 हजार के लेवल पर था जो अब 75 हजार तक गिर चुका है। बात सिर्फ सेंसेक्स गिरने की नहीं। सबसे बड़ी बात इंवेस्टर्स कॉन्फिडेंस के धाराशायी होने की है। आप जानते हैं फ्लिपकार्ट से लेकर फोन पे और ओयो होटल्स तक दर्जनों टेक स्टार्टअप आईपीओ लाकर लिस्ट होने की तैयारी कर रहे थे। एनेलिस्ट कहते हैं कि वर्ष 2027 तक 100 बिलियन डॉलर के कुल वैल्यूएशन वाले तीन दर्जन से ज्यादा टेक स्टार्टअप आईपीओ लाने का प्लान कर रहे हैं। भारत पिछले साल (2024) में आईपीओ के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मार्केट था लेकिन अब हालात और जज्बात (सेंटिमेंट) बदल चुके हैं। इंवेस्टमेंट बैंक द रेनमेकर ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार आईपीओ लाने की तैयारी करने वाली अधिकांश कंपनियां फास्ट ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी के बीच बैलेंस बनाए रखने में कामयाब हो रही है। नई कंपनियां अब 2021 और 2022 की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। कोविड के बाद के दो सालों में कई स्टार्टअप्स के आईपीओ आए, जिन्हें अच्छा रेस्पॉन्स भी मिला लेकिन लिस्टिंग के बाद ज्यादातर टूट गए। पेटीएम का शेयर प्राइस आईपीओ के बाद से लगभग 63 परसेंट गिर चुका है। हालांकि ब्यूटी रिटेलर नायका बेहतर स्थिति में है और यह आईपीओ प्राइस से 4 परसेंट ही नीचे है। रेनमेकर के एनेलिस्ट कहते हैं कि अगले दो वर्ष में आईपीओ लाने की तैयारी कर रही स्टार्टअप्स में से दो-तिहाई कंपनियां पहले से ही प्रॉफिट में हैं। रेनमेकर की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2025 के पहले तीन महीनों में आईपीओ 34 परसेंट घटे हैं। बेंचमार्क एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स लगातार नौ वर्ष से बढ़ रहा था लेकिन सितंबर में जीडीपी ग्रोथ स्लो पडऩे के कारण मार्केट में भी गिरावट शुरू हो गई। पहली तिमाही में आईपीओ, ब्लॉक सेल और शेयर प्लेसमेंट से आय लगभग आधी होकर 7.1 अरब डॉलर रह गई जो कि हांगकांग और जापान से भी कम है। ह्यूंदे की ही तरह कोरियाई दिग्गज एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक 1.7 बिलियन डॉलर का आईपीओ प्लान कर रही है। वहीं इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी एथर एनर्जी 40 करोड़ डॉलर जुटाना चाहती है। स्टार्टअप आईपीओ में तेजी आने से सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प और प्रोसस एनवी जैसे बड़े इंवेस्टर्स को एक्जिट में मदद मिल सकती है। जापानी बिलिनेयर मासायोशी सोन का सॉफ्टबैंक विजन फंड ओयो, लेंसकार्ट और यूज्ड कार रिटेलर कार्स24 में इंवेस्टर है। जबकि प्रोसस के पास ई-कॉमर्स फर्म मीशो और अर्बन कंपनी में शेयरहोल्डिंग है। भारत की स्टार्टअप इकोनॉमी अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर है। लेकिन इसमें कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मुद्दे बहुत बड़े हैं। बायजू•ा, गोमेकेनिक और पेटीएम का मामला सबके सामने है।
