सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन के अनुसार पैकेज्ड फूड कम्पनियों को प्रोडक्ट इंग्रीडियंट्स की सूचना फ्रंट में डिस्प्ले करनी चाहिये। यह डायरेक्शन कम्पनियों को खास पसंद नहीं आ रहा है। फूड इंडस्ट्री एक्जीक्यूटिव्ज के अनुसार जब वे स्लोडाउन को फेस कर रहे हैं, ऐसे समय में यह डिस्प्ले उनके लिये कठिन परिस्थितियां पैदा कर सकता है। न्यूट्रीशन एक्सपर्ट्स और एक्टीविस्ट का मत है कि यह डिमांड अति शीघ्र क्रियांवित होनी चाहिये। जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन ने पब्लिक इन्ट्रेस्ट लिटिगेशन को सुनते हुए कहा कि फ्रंट-ऑफ-द-पैक वार्निंग को कम्पलसरी किया जाना चाहिये। सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि आने वाले तीन माह में कम्पनियां यह सुनिश्चित करें कि प्रोडक्ट के पैक पर सम्पूर्ण जानकारी अंकित होगी। कुरकुरे, मैगी आदि के रैपर्स पर सूचना कहां होती है, यह हम सब जानते हैं। वह कहां पर होनी चाहिये, अब यह देखना है। मैगी नूडल्स, किटकैट चॉकलेट्स की मेकर नेस्ले इन्डिया के प्रवक्ता ने कहा कि वे अपने इनपुट्स को एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इन्डिया)से शेयर कर रहे हैं। जब नये रेगूलेशंस लागू होंगे, तो वे इन्हें लागू कर लेंगे। मैगी पैक्स पर सामग्री और पोषण की जानकारी अंकित होती है। कुरकुरे स्नैक्स ब्राण्ड का स्वामित्व रखने वाली पेप्सीको, आईटीसी, ब्रिटानिया आदि कम्पनियों ने अपना मत प्रकट नहीं किया है। फूड कम्पनियों ने कहा है कि पहले से उत्पादित पैक्स पर यदि फे्रंट लेबलिंग की जाती है तो कॉस्ट बढ़ जायेगी। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा है कि सरकार को फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड रेगूलेशंस 2020 में बदलाव पर निर्णय लेना है। आने वाले तीन माह में वह यह निर्णय ले। गौरतलब है कि पैकेज्ड फूड जो हैल्दी नजर आते हैं, उनमें हिडन शुगर, सॉल्ट और फैट कंटेंट होता है। ऐसे में फ्रंट में क्लियरली यह सूचना अंकित होनी चाहिये, ताकि पैक के अंदर की सम्पूर्ण जानकारी कन्ज्यूमर को प्राप्त हो पाये। दूसरी ओर पैकेज्ड फूड कम्पनियां स्लोडाउन, डिपे्रस्ड इंडस्ट्री का हवाला दे रही है।