अमेरिका भारत का टॉप एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन है। वित्त वर्ष 25 में भारत के गुड्स एक्सपोर्ट का 18.6 परसेंट अकेले अमेरिका को किया गया था। भारत पर लगाए गए 27 परसेंट के ट्रंप टैरिफ पर एएनजेड के इकोनॉमिस्ट धीरज निम ने कहा कि अमेरिका को एक्सपोर्ट घटने से भारत पर 30-35 बिलियन डॉलर का असर पड़ सकता है। जो कि जीडीपी के 0.7-0.8 परसेंट के बराबर हो सकता है। एमके की चीफ इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा कि अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट 30-33 बिलियन डॉलर या जीडीपी के लगभग 0.8-0.9 परसेंट तक गिर सकता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष25 के पहले नौ महीनों के लिए भारत ने अमेरिका को 60.02 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल इंपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 6.22 परसेंट है। अमेरिका के साथ भारत का 2023-24 में ट्रेड बैलेंस (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) 35.32 बिलियन डॉलर है। ये 2022-23 में 27.7 बिलियन डॉलर , 2021-22 में 32.85 बिलियन डॉलर, 2020-21 में 22.73 बिलियन डॉलर और 2019-20 में 17.26 बिलियन डॉलर था। आईडीएफसी फस्र्ट बैंक की इकोनॉमिस्ट गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट जीडीपी का केवल 4 परसेंट है, इसलिए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ पर 0.2 परसेंट तक का असर पड़ सकता है। भारत पर लगाया गया टैरिफ 26 परसेंट है, जो भारत द्वारा अमेरिका पर लगाए गए टैरिफ से अधिक है। डब्ल्यूटीओ के आंकड़ों के अनुसार यह अंतर 11.4 परसेंट है। बाजार विशेषज्ञ विजय केडिया ने कहा कि ट्रंप टैरिफ भारत के लिए एक आशीर्वाद हो सकता है, खासकर जब चीन पर लगाए गए उच्च टैरिफ पर विचार किया जाए। उन्होंने सलाह दी निजी क्षेत्र को कदम उठाने और यह पता लगाने की जरूरत है कि इस प्रतिकूलता का उनके लाभ के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। केडिया ने सोने में उसके वर्तमान मूल्य स्तरों पर निवेश करने के बारे में संदेह व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में सोने की कीमतों में 40-45 परसेंट की वृद्धि हुई है।