डूम्सडे यानी कयामत...यानी त्राहिमाम...ट्रंप ने भारत पर जो 27 परसेंट रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है उसे भारत की डायमंड इंडस्ट्री के लिए ब्रेकिंग द बैक...(कमरतोड़) जैसा माना जा रहा है। एक्सपोर्ट घटने पर तो कोई दोराय है ही नहीं इंडस्ट्री की सबसे बड़ी चिंता बेरोजगारी फैल जाने की है। भारत के जेम्स एंड ज्यूलरी एक्सपोर्ट में अमेरिका का शेयर 30 परसेंट से ज्यादा है। डायमंड इंक पर यह अटैक ऐसे दौर में हुआ है जब चीन, मिडल ईस्ट और यूरोप जैसे बड़े मार्केट्स में डिमांड कमजोर है। सूरत के इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट के चेयरमैन दिनेश नवादिया के अनुसार टैरिफ से अमेरिका में डिमांड पर बुरा असर पड़ेगा और शॉर्ट टर्म में नुकसान को टाल पाना मुश्किल है। दुनिया के 90 परसेंट रफ डायमंड की प्रॉसेसिंग और पॉलिशिंग सूरत में होती है। रिपोर्ट कहती हैं कि 10 हजार ट्रेडर और ब्रोकर वाले इस मार्केट में फ्यूचर आउटलुक क्लीयर नहीं होने के कारण सुस्ती पसरी है। सूरत के दिग्गज डायमंड कारोबारी मनसुख मंगुकिया के अनुसार इस बार हालात 2008 के ग्लोबल मेल्टडाउन से भी खराब हैं। वीनस ज्वेल्स की अध्यक्ष सेवंती शाह कहती हैं स्लोडाउन का असर सब पर पड़ेगा लेकिन छोटी कंपनियों पर करारी चोट पड़ेगी। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से 28.02 बिलियन डॉलर का जेम्स एंड ज्यूलरी एक्सपोर्ट हुआ था जिसमें 30 परसेंट शेयर अकेले अमेरिका का था। इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स के बाद जेम्स एंड ज्यूलरी अमेरिका को भारत का तीसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्ट आइटम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में जब सूरत डायमंड एक्सचेंज का फीता काटा था तब 66 लाख वर्ग फुट स्पेस के चलते यह पेंटागन को पछाड़ते हुए इसकी दुनिया का सबसे बड़ा ऑफिस स्पेस बन जाने के कारण खूब चर्चा में रहा था। रिपोर्ट के अनुसार रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से पहले सूरत के कारोबारी अमेरिका को अपने डिस्पैच फास्ट्रेक कर रहे हैं।
