महाराष्ट्र सरकार ने सभी डिपार्टमेंट्स को मल्टी-लेटरेल, बाय-लेटरेल और इंटरनेशनल फाइनेंस एजेंसियों से एक्सटर्नल लोन लेने की मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री को एक प्रारंभिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। महाराष्ट्र के फाइनेंस डिपार्टमेंट की तरफ से जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक, एक्सटर्नल लोन को वित्तीय जरूरतें पूरा करने के सोर्स के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे राजकोषीय घाटे की सीमा के भीतर हों। इस आदेश में कहा गया है कि लोन को लेकर एजेंसियों से बातचीत और लोन एग्रीमेंट राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी से ही किया जाना चाहिए। सरकारी आदेश कहता है, ‘‘एक्सटर्नल लोन जुटाते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि राजकोषीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम की सीमाओं के भीतर और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित नेट बोरोइंग लिमिट की सीमाओं के भीतर रहेगा।’’ राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के मुताबिक, राज्य सरकार को राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन प्रतिशत तक सीमित रखना होता है। वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य राजकोषीय घाटे को 2.7 प्रतिशत पर रखने की बात कही गई, जो पिछले वित्त वर्ष के 2.9 प्रतिशत से थोड़ा कम है। इसके पहले महाराष्ट्र परिवर्तन संस्थान (मित्रा) की सहायता से तैयार एक प्रारंभिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जानी चाहिए और फिर अनुमोदन के बाद उस रिपोर्ट को केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि डीईए की जांच समिति का अनुमोदन मिलने के बाद एक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) केंद्र सरकार और विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर और सोशल प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग एजेंसियों के समक्ष रखी जाएगी।