ऑटो इंक की इंडस्ट्री को प्रॉटेक्ट करने की मांग को दरकिनार करते हुए भारत सरकार अब ईयू से कार इंपोर्ट पर टैक्स को घटाने का मन बना चुकी है। रिपोर्टस में कहा गया है कि अभी सीबीयू पर जो 100 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगती है उसे घटाकर 10 परसेंट पर लाने का प्लान है। आप जानते ही हैं ब्रेक्जिट के बाद से ही यूके और यूरोपियन यूनियन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत चल रही है लेकिन मिडग्राउंड अभी तक नहीं मिल पाया है। भारत मैनपावर के लिए दरवाजे खुलवाना चाहता है वहीं ये देश स्कॉच और कारों के लिए। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार अब टैरिफ प्लान को एडजस्ट कर यूके व ईयू के साथ एफटीए की बातचीत को फास्ट्रेक मोड में लाना चाहती है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ऑटो इंक और भारत सरकार इंपोर्ट ड्यूटी घटाने पर एक राय हैं लेकिन ऑटो इंक 10 परसेंट के बजाय कम से कम 30 परसेंट बेसलाइन इंपोर्ट ड्यूटी की मांग कर रही है। भारत में हर साल 40 लाख से ज्यादा गाडिय़ां बिकती हैं और 7.50 लाख एक्सपोर्ट होती हैं। एनेलिस्ट्स का मानना है कि ईयू की कार कंपनियां अब भारत के लिए इतना बड़ा खतरा नहीं रही हैं क्योंकि प्राइस कंपीटिटिवनैस में वे कहीं ठहर नहीं पा रही हैं। साथ ही यूरोप की कार कंपनियां रेनो, फोक्सवैगन, स्कोडा, ओपल, पजियट, फिएट आदि भारत में मार्केट डवलप कर पाने में नाकामयाब रही हैं। हालांकि लक्जरी सैगमेंट को सबसे ज्यादा फायदा होगा जिनमें बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, जेएलआर, वोल्वो आदि शामिल हैं। चर्चा यह भी है कि टेस्ला का रास्ता साफ करने के लिए ईयू से कार इंपोर्ट ड्यूटी को घटाया जा रहा है। टेस्ला जर्मनी के बर्लिन में बड़ा प्लांट चला रही है। सूत्र कहते हैं पिछले सप्ताह भारी उद्योग मंत्रालय और ऑटो इंक के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई है। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित भारतीय कार कंपनियां इंपोर्ट टैरिफ घटाने से नुकसान होने की चिंता पहले भी जताती रही हैं। इनका मानना है कि सीमित संख्या में पेट्रोल कारों पर इंपोर्ट टैरिफ को पहले चरण में 100 से 70 परसेंट कर बाद में घटाकर 30 परसेंट किया जा सकता है। लिमिटेड इंपोर्ट पर 30 परसेंट तक कम करने से पहले 2029 तक ईवी टैरिफ न घटाया जाए। हालांकि कोरियाई और जापानी कंपनियां भी टैरिफ लेवल प्लेइंग फील्ड की मांग कर सकती हैं। यूके मोटर ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष माइक हॉव्स ने कहा अमेरिका के 25 परसेंट इंपोर्ट टैरिफ लगा देने से कॉस्ट अनवायबल हो जाती है। जगुआर लैंड रोवर, रोल्स-रॉयस, बेंटले, मैकलारेन और एस्टन मार्टिन आदि अमेरिका के एचएनआई कस्टमर को गाडिय़ां बेचती हैं का मानना है कि डिमांड की दिक्कत नहीं है बशर्ते कॉस्टिंग सही हो।