TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

04-04-2025

अमेरिकी रैसप्रोकल टैक्स इन्डियन जैम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट के लिए बड़ा झटका : जीजेईपीसी

  •  शीर्ष उद्योग निकाय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने कहा कि अमेरिका का जवाबी शुल्क भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात के लिए एक बड़ा झटका है। साथ ही उसने सरकार से इस क्षेत्र के दीर्घकालिक हित को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने बयान में कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा से भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी उपभोक्ताओं दोनों पर भारी बोझ पड़ेगा। जीजेईपीसी ने कहा कि दीर्घावधि में हम वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को नया आकार देते हुए देखते हैं। अल्पावधि में हम अमेरिकी बाजार में भारत के मौजूदा 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात को बनाए रखने में चुनौतियों का अनुमान लगाते हैं। बयान में कहा गया कि हम भारत सरकार से दोनों देशों (भारत और अमेरिका) के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का आग्रह करते हैं, क्योंकि यह शुल्क मुद्दों को सुलझाने और क्षेत्र के दीर्घकालिक हितों को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण होगा। अमेरिका भारत से 11.58 अरब अमेरिकी डॉलर के रत्न एवं आभूषण आयात करता है। वहीं भारत को 5.31 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है। रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में अमेरिका और भारत के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 16.89 अरब अमेरिकी डॉलर का है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार में प्राकृतिक व प्रयोगशाला में बने एवं पॉलिश किए गए हीरे, सोने तथा प्लैटिनम के आभूषण, चांदी के आभूषण, नकली आभूषण, कच्चे हीरे, कच्चे एलजीडी, कच्चे रंगीन रत्न, सोने की छड़, चांदी की छड़ तथा प्लैटिनम की छड़ और रंगीन रत्न आदि शामिल हैं।

Share
अमेरिकी रैसप्रोकल टैक्स इन्डियन जैम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट के लिए बड़ा झटका : जीजेईपीसी

 शीर्ष उद्योग निकाय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने कहा कि अमेरिका का जवाबी शुल्क भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात के लिए एक बड़ा झटका है। साथ ही उसने सरकार से इस क्षेत्र के दीर्घकालिक हित को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने बयान में कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा से भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी उपभोक्ताओं दोनों पर भारी बोझ पड़ेगा। जीजेईपीसी ने कहा कि दीर्घावधि में हम वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को नया आकार देते हुए देखते हैं। अल्पावधि में हम अमेरिकी बाजार में भारत के मौजूदा 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात को बनाए रखने में चुनौतियों का अनुमान लगाते हैं। बयान में कहा गया कि हम भारत सरकार से दोनों देशों (भारत और अमेरिका) के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का आग्रह करते हैं, क्योंकि यह शुल्क मुद्दों को सुलझाने और क्षेत्र के दीर्घकालिक हितों को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण होगा। अमेरिका भारत से 11.58 अरब अमेरिकी डॉलर के रत्न एवं आभूषण आयात करता है। वहीं भारत को 5.31 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है। रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में अमेरिका और भारत के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 16.89 अरब अमेरिकी डॉलर का है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार में प्राकृतिक व प्रयोगशाला में बने एवं पॉलिश किए गए हीरे, सोने तथा प्लैटिनम के आभूषण, चांदी के आभूषण, नकली आभूषण, कच्चे हीरे, कच्चे एलजीडी, कच्चे रंगीन रत्न, सोने की छड़, चांदी की छड़ तथा प्लैटिनम की छड़ और रंगीन रत्न आदि शामिल हैं।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news