डॉनाल्ड ट्रंप ने शांत पानी में पत्थर डाल दिया है। ना जाने उथल-पुथल (डिसरप्शन) की लहरें किसे डुबोएंगी। वित्त वर्ष 25 में भारत का सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट 210 बिलियन डॉलर का था जिसमें करीब 55 परसेंट शेयर अकेले अमेरिका का था। अमेरिका पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता के कारण ही सॉफ्टवेयर इंक की सांसें उखड़ी हुई हैं क्योंकि अमेरिका को एक्सपोर्ट घटता है तो हालात विकट हो सकते हैं। एनेलिस्ट्स का मानना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ सहित कई दूसरे एक्शन के कारण अमेरिका में बिजनस सेंटिमेंट घटने का खतरा है और ऐसा होता है तो सीधा असर भारत के सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट पर पड़ेगा। रेसिप्रोकल टैरिफ से अमेरिकी कंपनियों की कॉस्ट बढ़ सकती है जिससे विवेकाधीन टेक्नोलॉजी खर्च घट सकता है। ऐसा होने पर भारत की आईटी फम्र्स की रेवेन्यू ग्रोथ घट सकती है जो पहले से ही वित्त वर्ष 24 की बहुत कमजोर ग्रोथ से रिकवरी के लिए संघर्ष कर रही हैं। एनेलिस्ट्स का मानना है कि मार्च तिमाही में रेवेन्यू ग्रोथ 1.3 परसेंट घटी है और जून तिमाही में भी ऐसे ही हालात बने रहने का आशंका है। ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से आईटी सेवाओं की डिमांड पर असर पड़ेगा सप्लाई पर नहीं। शॉर्ट टर्म में मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और रिटेलिंग पर दबाव बढ़ेगा जिससे इन सैक्टर की कंपनियों के आईटी खर्च में कटौती होगी। आरबीआई के अनुसार अमेरिका और कनाडा को सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट 2021-22 में 86.9 बिलियन डॉलर से 19.6 परसेंट बढक़र 2022-23 में 103.9 बिलियन डॉलर हो गया जो कुल एक्सपोर्ट का 56 परसेंट था। इसके बाद 30.8 परसेंट शेयर के साथ यूरोप का नंबर था। यूरोप को 2022-23 में 57.1 बिलियन डॉलर का सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट किया गया था। यूरोप में ब्रिटेन भारतीय सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा इंपोर्टर है। भारत से यूरोप को हुए कुल सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट में ब्रिटेन का शेयर 46 परसेंट था। जबकि एशियाई देशों को भारत का सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट 12 बिलियन डॉलर का था जिसमें 10.8 बिलियन डॉलर अकेले पूर्वी एशिया के देशों को किया गया था। हालांकि एनेलिस्ट कहते हैं कि शॉर्ट टर्म चैलेंज के बावजूद लॉन्गटर्म में भारत की सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को फायदा होने का अनुमान है। क्योंकि अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग रिवाइव होने से भारत को लाभ होने की उम्मीद है। ट्रंप टैरिफ का यह झटका ठंडा पडऩे के बाद कंपनियों का बिजनस इकोसिस्टम पटरी पर लौटेगा तो वे सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई करने पर इंवेस्ट करेंगी, ऑटोमेशन पर इंवेस्ट करेही और इसका फायदा भारत की आईटी इंडस्ट्री को होगा। माना जा रहा है कि छह महीने बाद अमेरिका में हालात नॉर्मल होने लगेंगे इसके बाद अमेरिकी कंपनियां इंवेस्टमेंट शुरू करेंगी। क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर अनुज सेठी के अनुसार वित्त वर्ष 26 में भारतीय आईटी इंडस्ट्री की रेवेन्यू ग्रोथ रेट 6-8 परसेंट ही रहेगी।
