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03-04-2025

आपके समोसे... देश की इकोनॉमी रामभरोसे

  •  छोटे (अनंत) अंबानी इन दिनों जामनगर से द्वारिका तक पूरे लाव-लश्कर के साथ 140 किमी की पैदल यात्रा कर रहे हैं। हालांकि  यह पदयात्रा उनकी स्लिमिंग के लिए नहीं है। लेकिन छोटे अंबानी ही क्यों देश की इकोनॉमी पर आपके समोसे भारी पडऩे वाले हैं। कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटापे पर भी  मन की बात कही थी। भारत में ओबेसिटी कॉस्ट यानी मोटापे से इकोनॉमी को होने वाला नुकसान 2019 में $28.95 बिलियन था जो जीडीपी का 1 परसेंट होता है। और यही ट्रेंड जारी रहता है तो यह 2060 तक  तीन गुना बढक़र81.53 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 1.57 परसेंट) हो सकती है। ग्लोबल ओबेसिटी ऑब्जर्वेटरी के अनुसार यदि इसे कंट्रोल नहीं किया गया तो 838.6 बिलियन डॉलर यानी जीडीपी के 2.5 परसेंट तक बढ़ सकती है। वर्ष 2025 में ओबेसिटी कॉस्ट ग्लोबल जीडीपी की 3.6 परसेंट के बराबर होगी। वर्ष 2060 तक थाईलैंड के मामले में यह लागत जीडीपी की 4.9 परसेंट और यूएई की 2060 तक 11.04 हो जाने की आशंका है। ओबेसिटी कॉस्ट का मतलब हुआ मोटापे को मैनेज करने पर खर्च और मोटापे के कारण प्रॉडक्टिविटी को हुआ नुकसान। अमेरिका में ओबेसिटी की मेडिकल कॉस्ट सालाना 260.6 बिलियन डॉलर है जो कि सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में दोगुनी है। ग्लोबल ओबेसिटी ऑब्जर्वेटरी के अनुसार 2060 तक मोटापे के कारण मेडिकल खर्च दुनिया में 18 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का खतरा है। मोटापे के कारण कर्मचारी के जॉब से अनुपस्थित रहने भर से अमेरिका पर हर साल 26.8 बिलियन डॉलर का बोझ पड़ता है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमेरिका में औसत से ज्यादा वजन वाले साल में 3 दिन ज्यादा छुट्टी पर रहते हैं। साथ ही मोटे लोगों के दफ्तर आने के बावजूद प्रॉडक्टिविटी 15-30 परसेंट कम रहती है। मोटापे के कारण होने वाली विकलांगता के दावों की लागत ही 31.1 बिलियन डॉलर है। 2060 तक, मोटापा ऑस्ट्रेलिया के जीडीपी को 3.49 परसेंट और मैक्सिको के जीडीपी को 5.01 परसेंट तक कम कर सकता है। भारत के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 के अनुसार ग्रामीण परिवार अपने खाद्य बजट का 9.6 परसेंट प्रॉसेस्ड आइटम्स पर खर्च करते हैं जबकि शहरी परिवार 10.64 परसेंट खर्च करते हैं। ऑस्ट्रेलिया ने मोटापे को 2 परसेंट कम करने के लिए हर सौ ग्राम चीनी पर 0.40 डॉलर का शुगर टेक्स लगाया है। सरकार का मानना है कि इससे मेडिकल खर्च में 50 करोड़ डॉलर की बचत होगी।

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आपके समोसे... देश की इकोनॉमी रामभरोसे

 छोटे (अनंत) अंबानी इन दिनों जामनगर से द्वारिका तक पूरे लाव-लश्कर के साथ 140 किमी की पैदल यात्रा कर रहे हैं। हालांकि  यह पदयात्रा उनकी स्लिमिंग के लिए नहीं है। लेकिन छोटे अंबानी ही क्यों देश की इकोनॉमी पर आपके समोसे भारी पडऩे वाले हैं। कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटापे पर भी  मन की बात कही थी। भारत में ओबेसिटी कॉस्ट यानी मोटापे से इकोनॉमी को होने वाला नुकसान 2019 में $28.95 बिलियन था जो जीडीपी का 1 परसेंट होता है। और यही ट्रेंड जारी रहता है तो यह 2060 तक  तीन गुना बढक़र81.53 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 1.57 परसेंट) हो सकती है। ग्लोबल ओबेसिटी ऑब्जर्वेटरी के अनुसार यदि इसे कंट्रोल नहीं किया गया तो 838.6 बिलियन डॉलर यानी जीडीपी के 2.5 परसेंट तक बढ़ सकती है। वर्ष 2025 में ओबेसिटी कॉस्ट ग्लोबल जीडीपी की 3.6 परसेंट के बराबर होगी। वर्ष 2060 तक थाईलैंड के मामले में यह लागत जीडीपी की 4.9 परसेंट और यूएई की 2060 तक 11.04 हो जाने की आशंका है। ओबेसिटी कॉस्ट का मतलब हुआ मोटापे को मैनेज करने पर खर्च और मोटापे के कारण प्रॉडक्टिविटी को हुआ नुकसान। अमेरिका में ओबेसिटी की मेडिकल कॉस्ट सालाना 260.6 बिलियन डॉलर है जो कि सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में दोगुनी है। ग्लोबल ओबेसिटी ऑब्जर्वेटरी के अनुसार 2060 तक मोटापे के कारण मेडिकल खर्च दुनिया में 18 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का खतरा है। मोटापे के कारण कर्मचारी के जॉब से अनुपस्थित रहने भर से अमेरिका पर हर साल 26.8 बिलियन डॉलर का बोझ पड़ता है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमेरिका में औसत से ज्यादा वजन वाले साल में 3 दिन ज्यादा छुट्टी पर रहते हैं। साथ ही मोटे लोगों के दफ्तर आने के बावजूद प्रॉडक्टिविटी 15-30 परसेंट कम रहती है। मोटापे के कारण होने वाली विकलांगता के दावों की लागत ही 31.1 बिलियन डॉलर है। 2060 तक, मोटापा ऑस्ट्रेलिया के जीडीपी को 3.49 परसेंट और मैक्सिको के जीडीपी को 5.01 परसेंट तक कम कर सकता है। भारत के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 के अनुसार ग्रामीण परिवार अपने खाद्य बजट का 9.6 परसेंट प्रॉसेस्ड आइटम्स पर खर्च करते हैं जबकि शहरी परिवार 10.64 परसेंट खर्च करते हैं। ऑस्ट्रेलिया ने मोटापे को 2 परसेंट कम करने के लिए हर सौ ग्राम चीनी पर 0.40 डॉलर का शुगर टेक्स लगाया है। सरकार का मानना है कि इससे मेडिकल खर्च में 50 करोड़ डॉलर की बचत होगी।


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