भारत सरकार 2030 तक 30 परसेंट ईवी का टार्गेट लेकर चल रही है। हालांकि इस टार्गेट को लेकर जिस तरह का ओईएम से रेस्पॉन्स मिल रहा है लगता है नहीं कि पूरा हो पाएगा। अब तक ईवी बैंडवैगन को पुल करने की पूरी जिम्मेदारी टाटा मोटर्स के कंधों पर ही थी लेकिन इंडस्ट्री में अब दूसरे मेनस्ट्रीम प्लेयर्स की एंट्री हो रही है। साल के शुरुआती तीन महीनो में ह्यूंदे और महिन्द्रा ने ईवी प्रॉडक्ट लॉन्च किए हैं। जल्दी ही मारुति सुजुकी भी विटारा का इलेक्ट्रिक अवतार लॉन्च करने के लिए कमर कस रही है। टू-व्हीलर में टीवीएस और बजाज फुल थ्रोटल पर ईवी की मेनस्ट्रीमिंग में मदद कर रहे हैं। लेकिन डेलॉय ने अपनी 2025 ग्लोबल ऑटोमोटिव कंज्यूमर स्टडी ने कहा है कि भारत में ईवी को लेकर कंज्यूमर सेंटिमेंट ज्यादा पॉजटिव नहीं है। वर्ष 2024 की तुलना में ईवी खरीदने में कम कस्टमर की रुचि हैं। हालांकि स्टडी में कहा गया है कि आइस (इंजन वाले) वेहीकल्स को लेकर सेंटिमेंट बहुत स्ट्रॉन्ग बना हुआ है और 54 परसेंट कस्टमर आइस वेहीकल्स पर दांव लगाना चाहते हैं। बड़ी बात यह है कि 2024 में आइस वेहीकल्स केवल 49 परसेंट कस्टमर की ही बकेट लिस्ट में थे। इसका सीधा मतलब यह है कि ईवी को लेकर कस्टमर सेंटिमेंट कमजोर पड़ रहा है और यह तब हो रहा है जब ईवी की प्रॉडक्ट रेंज बढ़ रही है और सपोर्ट सिस्टम का विस्तार हो रहा है। डेलॉय की स्टडी में एक और चौंकाने वाला ट्रेड यह सामने आया कि वर्ष 2024 में जहां 10 परसेंट बायर ईवी खरीदना चाहते थे वहीं 2025 में ये घटकर 8 परसेंट रह गए। ईवी को लेकर डाउनबीट ट्रेंड केवल बीईवी के लिए ही नहीं बल्कि हाइब्रिड ईवी और प्लग-इन हाइब्रिड ईवी के लिए भी है। ईवी में बीईवी पसंद करने वाले बायर 2024 में जहां 46 परसेंट थे वहीं 2025 में ये घटकर 41 परसेंट रह गए। डेलॉयट साउथ एशिया में पार्टनर और ऑटोमोटिव सेक्टर लीडर रजत महाजन के अनुसार ईवी के सभी वेरिएंट की डिमांड स्थिर हो गई है। क्योंकि...ईवी को लेकर जो प्रेक्टिकल चैलेंज हैं वे सामने आ रहे हैं। नए मॉडल आने के कारण ईवी का इकोसिस्टम क्या शेप लेता है इसके लिए वेट एंड वॉच की जरूरत है। देश ने 2024 में 91,607 की तुलना में 2024-25 में 107,000 इलेक्ट्रिक पैसेंजर वेहीकल्स बेचे। हालांकि, वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट केवल 2.6 परसेंट रह गई। मारुति, ह्यूंदे टाटा, महिंद्रा एंड महिंद्रा और जेएसडब्ल्यू एमजी लगातार ईवी मॉडल लॉन्च कर रहे हैं। लेकिन एनेलिस्ट्स का कहना है कि ईवी की डिमांड को लेकर थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। आइस के मुकाबले बड़ा प्राइस प्रीमियम होने, चार्जिंग और सर्विस इकोसिस्टम की कमी और बैटरी रिप्लेसमेंट की बड़ी कॉस्ट अभी भी इवी के लिए बड़े चैलेंज हैं। हालांकि मारुति सुजुकी ने कहा है कि वह ई-विटारा के साथ पूरा इकोसिस्टम तैयार कर रही है। कंपनी इसे फैमिली की फस्र्ट कार के रूप में पोजिशन करना चाहती है। आमतौर पर ईवी फैमिली की सैकंड कार होती हैं। ईवी के लिए कुछ इसी तरह का डाउनबीट ट्रेंड यूरोप और अमेरिका जैसे बड़ा ईवी मार्केट्स में भी दिखाई दे रहा है जहां पिछले वर्ष ईवी की ग्रोथरेट स्लो पड़ गई।
