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17-04-2025

वर्ष 2026 तक कन्स्ट्रक्ट होने वाले 70 प्रतिशत मॉल होंगे ‘A+’ कैटेगरी के

  •  भारत के रिटेल रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा बदलाव हो रहा है और वर्ष 2025 एवं 2026 तक बनने वाले 12.3 मिलियन वर्गफुट नए ग्रेड ए मॉल स्पेस में से 70 प्रतिशत से अधिक सुपीरियर ग्रेड ए प्लस के होंगे। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। कुशमैन एंड वेकफील्ड की नई रिपोर्ट के अनुसार यह बदलाव बढ़ती उपभोक्ता आकांक्षाओं, अधिक खर्च और ब्रांडों एवं डवलपर्स दोनों की रणनीति में बदलाव के कारण हो रहा है। रिपोर्ट में बताया गया कि यह नए मॉल बेहतर गुणवत्ता, सेवा और अनुभव प्रदान करेंगे, जो स्पेस के विस्तार करने से लेकर स्टैंडर्ड अपग्रेड होने तक के बदलाव को दर्शाएंगे। कुशमैन एंड वेकफील्ड के एग्जीक्यूटिव मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि भारत का रिटेल सेक्टर तेजी से बदल रहा है और उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज के खरीदार सोच-समझकर डिजाइन की गई जगहों की तलाश कर रहे हैं और खरीदारी का अनुभव प्रोडक्ट जितना ही महत्वपूर्ण हो गया है। ब्यूटी, वैलनेस, फूड और बेवरेज और एथलीजर जैसी टॉप परफॉर्मेंस कैटेगरी भारतीय रिटेल सेक्टर के इस नए फेस को आकार देने में मदद कर रही हैं। सुपीरियर ग्रेड मॉल, जो आमतौर पर जाने-माने डवलपर्स या संस्थागत निवेशकों के अधीन होते हैं और अपनी हाई ऑक्यूपेंसी रेट (85 प्रतिशत से अधिक), प्रीमियम ब्रांड मिक्स और रिच कस्टमर सर्विसेज के लिए जाने जाते हैं। मौजूदा समय में, भारत में 61.5 मिलियन स्क्वायर फीट ग्रेड ए मॉल स्पेस हैं, जिसमें से 63 प्रतिशत सुपीरियर ग्रेड के हैं। इन मॉल्स ने अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। 2019 से औसत किराए में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मौजूदा समय में इन मॉलों में किराया औसतन 315 रुपये प्रति वर्गफुट प्रतिमाह है। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे जैसे मेट्रो शहर हाई-क्वालिटी वाले रिटेल स्पेस में अग्रणी बने हुए हैं। अकेले दिल्ली-एनसीआर में 21.75 मिलियन वर्गफुट ग्रेड ए मॉल हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इस बदलाव में भारत के युवा और तेजी से समृद्ध होते मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है। 30 वर्ष से कम आयु के भारतीय उपभोक्ता अधिक प्रीमियम और अनुभवआधारित खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं।

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वर्ष 2026 तक कन्स्ट्रक्ट होने वाले 70 प्रतिशत मॉल होंगे ‘A+’ कैटेगरी के

 भारत के रिटेल रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा बदलाव हो रहा है और वर्ष 2025 एवं 2026 तक बनने वाले 12.3 मिलियन वर्गफुट नए ग्रेड ए मॉल स्पेस में से 70 प्रतिशत से अधिक सुपीरियर ग्रेड ए प्लस के होंगे। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। कुशमैन एंड वेकफील्ड की नई रिपोर्ट के अनुसार यह बदलाव बढ़ती उपभोक्ता आकांक्षाओं, अधिक खर्च और ब्रांडों एवं डवलपर्स दोनों की रणनीति में बदलाव के कारण हो रहा है। रिपोर्ट में बताया गया कि यह नए मॉल बेहतर गुणवत्ता, सेवा और अनुभव प्रदान करेंगे, जो स्पेस के विस्तार करने से लेकर स्टैंडर्ड अपग्रेड होने तक के बदलाव को दर्शाएंगे। कुशमैन एंड वेकफील्ड के एग्जीक्यूटिव मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि भारत का रिटेल सेक्टर तेजी से बदल रहा है और उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज के खरीदार सोच-समझकर डिजाइन की गई जगहों की तलाश कर रहे हैं और खरीदारी का अनुभव प्रोडक्ट जितना ही महत्वपूर्ण हो गया है। ब्यूटी, वैलनेस, फूड और बेवरेज और एथलीजर जैसी टॉप परफॉर्मेंस कैटेगरी भारतीय रिटेल सेक्टर के इस नए फेस को आकार देने में मदद कर रही हैं। सुपीरियर ग्रेड मॉल, जो आमतौर पर जाने-माने डवलपर्स या संस्थागत निवेशकों के अधीन होते हैं और अपनी हाई ऑक्यूपेंसी रेट (85 प्रतिशत से अधिक), प्रीमियम ब्रांड मिक्स और रिच कस्टमर सर्विसेज के लिए जाने जाते हैं। मौजूदा समय में, भारत में 61.5 मिलियन स्क्वायर फीट ग्रेड ए मॉल स्पेस हैं, जिसमें से 63 प्रतिशत सुपीरियर ग्रेड के हैं। इन मॉल्स ने अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। 2019 से औसत किराए में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मौजूदा समय में इन मॉलों में किराया औसतन 315 रुपये प्रति वर्गफुट प्रतिमाह है। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे जैसे मेट्रो शहर हाई-क्वालिटी वाले रिटेल स्पेस में अग्रणी बने हुए हैं। अकेले दिल्ली-एनसीआर में 21.75 मिलियन वर्गफुट ग्रेड ए मॉल हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इस बदलाव में भारत के युवा और तेजी से समृद्ध होते मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है। 30 वर्ष से कम आयु के भारतीय उपभोक्ता अधिक प्रीमियम और अनुभवआधारित खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं।


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