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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

03-04-2025

2024 सैकंड हाफ में मोबाइल पेमेंट 88.5 बिलियन तक पहुंचा

  •  2024 के सैकंड हाफ में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ट्रांजैक्शन में वार्षिक आधार पर 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो बढक़र कुल 93.23 बिलियन लेनदेन तक पहुंच गई। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में दी गई। फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर, वल्र्डलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में तेजी से विकास जारी है, इसी के साथ गत वर्ष की दूसरी छमाही में मील के पत्थर हासिल किए गए। यूपीआई ट्रांजैक्शन के कुल मूल्य में भी शानदार वृद्धि देखी गई, जो 31 प्रतिशत बढक़र 130.19 ट्रिलियन रुपये हो गई। मोबाइल पेमेंट में भी बड़ी वृद्धि देखी गई है, इसी अवधि में मोबाइल ट्रांजैक्शन की संख्या 88.54 बिलियन तक पहुंच गई, जो कि 41 प्रतिशत की एन्यूअल ग्रोथ को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उछाल ग्राहकों में मोबाइल-फस्र्ट फाइनेंशियल सॉल्यूशन को लेकर बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाता है, जो मोबाइल वॉलेट और ऐप्स की सहज सुविधा और पहुंच की वजह से संभव हो पाया। इस वृद्धि का अहम कारक यूपीआई क्यूआर कोड को अपनाने को लेकर विस्तार रहा, जिसमें 126 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल देखा गया। यह देशभर में अब 633.44 मिलियन क्यूआर कोड तक पहुंच गया है। इस विकास ने व्यापारियों के लिए डिजिटल भुगतान को मजबूत किया है, जिससे अधिक छोटे व्यवसाय और स्थानीय दुकानें कैशलेस ट्रांजैक्शन को अपनाने में सक्षम हुई हैं। वल्र्डलाइन इंडिया के सीईओ रमेश नरसिम्हन ने कहा कि भारत का डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम अभूतपूर्व गति से विकसित हो रहा है, यह विकास यूपीआई के व्यापक रूप से अपनाए जाने, पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और मोबाइल ट्रांजैक्शन के लिए बढ़ती प्राथमिकता की वजह से हो रहा है। पीओएस टर्मिनलों को लेकर भी निरंतर वृद्धि रिकॉर्ड की गई है, जो अब 10 मिलियन का आंकड़ा पार कर चुका है। गत वर्ष की तुलना में पीओएस टर्मिनलों को स्थापित करने को लेकर 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

    रिपोर्ट में सॉफ्टपीओएस (सॉफ्टवेयर पॉइंट ऑफ सेल) टेक्नोलॉजी के उदय पर भी जोर दिया गया है, जो मर्चेंट को उनके स्मार्टफोन को सुरक्षित संपर्क रहित पेमेंट टर्मिनल के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देता है। यह टेक्नोलॉजी मर्चेंट पेमेंट को नया रूप दे रही है, खासकर छोटे व्यवसायों के लिए क्योंकि यह महंगे पारंपरिक पीओएस हार्डवेयर की आवश्यकता को खत्म कर देती है। एमपीओसी (मोबाइल पेमेंट ऑन कॉन्टैक्टलेस) सुरक्षा मानकों के कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित होता है कि ये ट्रांजैक्शन सुरक्षित हैं, जिसमें ऊंची कीमत वाली पेमेंट भी शामिल हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में उपभोक्ताओं द्वारा खर्च को लेकर प्राथमिकता पर भी जानकारी दी गई है। के्रडिट कार्ड ट्रांजैक्शन को लेकर 36 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो उपभोक्ताओं की हाई-वैल्यू खरीदारी में उनकी बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। प्रीपेड कार्ड का उपयोग भी 35 प्रतिशत बढ़ा, जो लचीले भुगतान विकल्पों में वृद्धि को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फास्टैग जैसे इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें 103 मिलियन से अधिक टैग जारी किए गए। खर्च के पैटर्न के संदर्भ में, किराना स्टोर, रेस्तरां, फार्मेसी और सरकारी सेवाएं इन-स्टोर ट्रांजैक्शन के लिए टॉप कैटेगरी के रूप में उभरीं, जो ट्रांजैक्शन की मात्रा का 68 प्रतिशत और कुल ट्रांजैक्शन मूल्य का 53 प्रतिशत हिस्सा था। मार्च में यूपीआई ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड 24.77 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) आधारित ट्रांजेक्शन की संख्या में मार्च में मासिक आधार पर 13.59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, और यह इस साल फरवरी के 16.11 अरब से बढक़र मार्च में 18.3 अरब हो गई। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के मंगलवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है। मार्च में यूपीआई-आधारित लेनदेन का मूल्य रिकॉर्ड 24.77 लाख करोड़ रुपये रहा, जो फरवरी के 21.96 लाख करोड़ रुपये से 12.79 प्रतिशत अधिक है।

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2024 सैकंड हाफ में मोबाइल पेमेंट 88.5 बिलियन तक पहुंचा

 2024 के सैकंड हाफ में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ट्रांजैक्शन में वार्षिक आधार पर 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो बढक़र कुल 93.23 बिलियन लेनदेन तक पहुंच गई। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में दी गई। फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर, वल्र्डलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में तेजी से विकास जारी है, इसी के साथ गत वर्ष की दूसरी छमाही में मील के पत्थर हासिल किए गए। यूपीआई ट्रांजैक्शन के कुल मूल्य में भी शानदार वृद्धि देखी गई, जो 31 प्रतिशत बढक़र 130.19 ट्रिलियन रुपये हो गई। मोबाइल पेमेंट में भी बड़ी वृद्धि देखी गई है, इसी अवधि में मोबाइल ट्रांजैक्शन की संख्या 88.54 बिलियन तक पहुंच गई, जो कि 41 प्रतिशत की एन्यूअल ग्रोथ को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उछाल ग्राहकों में मोबाइल-फस्र्ट फाइनेंशियल सॉल्यूशन को लेकर बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाता है, जो मोबाइल वॉलेट और ऐप्स की सहज सुविधा और पहुंच की वजह से संभव हो पाया। इस वृद्धि का अहम कारक यूपीआई क्यूआर कोड को अपनाने को लेकर विस्तार रहा, जिसमें 126 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल देखा गया। यह देशभर में अब 633.44 मिलियन क्यूआर कोड तक पहुंच गया है। इस विकास ने व्यापारियों के लिए डिजिटल भुगतान को मजबूत किया है, जिससे अधिक छोटे व्यवसाय और स्थानीय दुकानें कैशलेस ट्रांजैक्शन को अपनाने में सक्षम हुई हैं। वल्र्डलाइन इंडिया के सीईओ रमेश नरसिम्हन ने कहा कि भारत का डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम अभूतपूर्व गति से विकसित हो रहा है, यह विकास यूपीआई के व्यापक रूप से अपनाए जाने, पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और मोबाइल ट्रांजैक्शन के लिए बढ़ती प्राथमिकता की वजह से हो रहा है। पीओएस टर्मिनलों को लेकर भी निरंतर वृद्धि रिकॉर्ड की गई है, जो अब 10 मिलियन का आंकड़ा पार कर चुका है। गत वर्ष की तुलना में पीओएस टर्मिनलों को स्थापित करने को लेकर 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

रिपोर्ट में सॉफ्टपीओएस (सॉफ्टवेयर पॉइंट ऑफ सेल) टेक्नोलॉजी के उदय पर भी जोर दिया गया है, जो मर्चेंट को उनके स्मार्टफोन को सुरक्षित संपर्क रहित पेमेंट टर्मिनल के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देता है। यह टेक्नोलॉजी मर्चेंट पेमेंट को नया रूप दे रही है, खासकर छोटे व्यवसायों के लिए क्योंकि यह महंगे पारंपरिक पीओएस हार्डवेयर की आवश्यकता को खत्म कर देती है। एमपीओसी (मोबाइल पेमेंट ऑन कॉन्टैक्टलेस) सुरक्षा मानकों के कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित होता है कि ये ट्रांजैक्शन सुरक्षित हैं, जिसमें ऊंची कीमत वाली पेमेंट भी शामिल हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में उपभोक्ताओं द्वारा खर्च को लेकर प्राथमिकता पर भी जानकारी दी गई है। के्रडिट कार्ड ट्रांजैक्शन को लेकर 36 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो उपभोक्ताओं की हाई-वैल्यू खरीदारी में उनकी बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। प्रीपेड कार्ड का उपयोग भी 35 प्रतिशत बढ़ा, जो लचीले भुगतान विकल्पों में वृद्धि को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फास्टैग जैसे इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें 103 मिलियन से अधिक टैग जारी किए गए। खर्च के पैटर्न के संदर्भ में, किराना स्टोर, रेस्तरां, फार्मेसी और सरकारी सेवाएं इन-स्टोर ट्रांजैक्शन के लिए टॉप कैटेगरी के रूप में उभरीं, जो ट्रांजैक्शन की मात्रा का 68 प्रतिशत और कुल ट्रांजैक्शन मूल्य का 53 प्रतिशत हिस्सा था। मार्च में यूपीआई ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड 24.77 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) आधारित ट्रांजेक्शन की संख्या में मार्च में मासिक आधार पर 13.59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, और यह इस साल फरवरी के 16.11 अरब से बढक़र मार्च में 18.3 अरब हो गई। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के मंगलवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है। मार्च में यूपीआई-आधारित लेनदेन का मूल्य रिकॉर्ड 24.77 लाख करोड़ रुपये रहा, जो फरवरी के 21.96 लाख करोड़ रुपये से 12.79 प्रतिशत अधिक है।


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