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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

23-04-2025

ब्लूस्मार्ट फेल होने से ईवी इंक के चैलेंज स्टार्ट

  •  बायजू की करामात भूले भी नहीं थे कि जेनसोल की कहानी सामने आ गई। बायजू तो फिर भी विदेशी फंड से चल रही थी इसलिए लोकल इंवेस्टर्स को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जेनसोल पर तो हिंदुस्तानियों ने दांव लगाया था। घोटाला तो हुआ जो हुआ लेकिन देश के ईवी इकोसिस्टम के लिए डबल व्हैमी यानी दोहरी मार से कम नहीं है। क्योंकि जेनसोल देश में इलेक्ट्रिक कैब चलाने वाली सबसे बड़े कंपनी थी और ब्लूस्मार्ट की फ्लीट के खड़ा हो जाने से टाटा और सिट्रोइन जैसी उन कंपनियों को बड़ा नुकसान हो रहा है जिनके साथ ब्लूस्मार्ट ने परचेज डील की थी। ब्लूस्मार्ट ने जब 18 हजार ईवी के लिए परचेज डील की थी तब इसे खासतौर पर टाटा मोटर्स के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा था। इस डील में से 9 हजार से ज्यादा गाडिय़ां तो डिलीवर ही नहीं पाईं। इन 18 हजार में से टाटा मोटर्स के पास 13500 यूनिट्स का ऑर्डर था जबकि फ्रांस की सिट्रोइन के पास 4 हजार यूनिट्स का। अब तक टाटा ने लगभग 7,500 गाडियां डिलीवर की हैं जिनमें ज्यादातर ई-टिगोर और एक्सप्रेस-टी मॉडल हैं। जबकि सिट्रोइन ने 500 से कम ई-सी3 यूनिट्स की डिलीवरी दी है। 18 हजार यूनिट्स की इस डील का थोड़ा बहुत हिस्सा एमजी मोटर, बीवाईडी, महिंद्रा, ह्यूंदे और ऑडी को मिला था। इंडस्ट्री रिपोर्ट कहती हैं कि टाटा और सिट्रोइन ने ब्लूस्मार्ट के ऑर्डर को राइट ऑफ कर दिया है। चूंकि ब्लूस्मार्ट की हजारों यूज्ड कैब सेकंड-हैंड मार्केट में आ रही है इसलिए ईवी के लिए फ्लीट ऑपरेटर्स की डिमांड ही खत्म हो गई है। ब्लूस्मार्ट के इस स्कैम से भारत के ईवी इकोसिस्टम में शॉकवेव ट्रिगर हो गई है क्योंकि 2024 में ईवी सेल्स में वैसे ही फ्लेट ग्रोथ रही थी। माना जा रहा था कि कंज्यूमर सैगमेंट में जो घाटा होगा उसकी भरपाई ब्लूस्मार्ट जैसे फ्लीट ऑपरेटरों से हो सकती है लेकिन अब वो उम्मीद भी नहीं रही। भारत में अभी केवल 6 हजार ईवी कैब चल रही हैं। वैसे भी ओला, ऊबर आदि ने ईवी में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं लिया है। इनका मानना है कि ईवी कैब में ज्यादा रिटर्न नहीं मिल रहा है क्योंकि ईवी की ऑपरेटिंग कॉस्ट सीएनजी के बराबर करीब 3 रुपये किलोमीटर ही पड़ती है। ऐसे में 3-4 लाख रुपये प्रीमियम का तुक समझ नहीं आता। ब्लूस्मार्ट ने पहले 2025 तक 1 लाख  ईवी सडक़ पर उतारने का टार्गेट रखा था। हालांकि 2024 के अंत में कंपनी 8,500 ईवी की फ्लीट को मैनेज कर रही थी। इंडस्ट्री रिपोर्ट कहती हैं कि पीएम-ईड्राइव स्कीम के बाद से फ्लीट के लिए लॉर्ज वॉल्यूम ईवी की डिमांड लगभग गायब हो गई है। एनेलिस्ट के अनुसार ब्लूस्मार्ट के स्पॉइलस्पोर्ट से ईवी में डिस्काउंटिग का दौर शुरु हो सकता है क्योंकि कंपनियों और डीलरों के हाथ में पहले से ही स्टॉक है। ब्लूस्मार्ट के को-फाउंडर अनमोल सिंह जग्गी ने 2023 में एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी फ्लीट में 80 परसेंट से ज्यादा गाडिय़ां टाटा मोटर्स की हैं। टाटा मोटर्स ने वर्ष 2022 में 23 हजार और 2023 में 26 हजार ईवी फ्लीट सैगमेंट में बेची थीं। लेकिन 2024 में कंपनी की फ्लीट सेल्स केवल 2 हजार यूनिट्स रह गई।

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ब्लूस्मार्ट फेल होने से ईवी इंक के चैलेंज स्टार्ट

 बायजू की करामात भूले भी नहीं थे कि जेनसोल की कहानी सामने आ गई। बायजू तो फिर भी विदेशी फंड से चल रही थी इसलिए लोकल इंवेस्टर्स को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जेनसोल पर तो हिंदुस्तानियों ने दांव लगाया था। घोटाला तो हुआ जो हुआ लेकिन देश के ईवी इकोसिस्टम के लिए डबल व्हैमी यानी दोहरी मार से कम नहीं है। क्योंकि जेनसोल देश में इलेक्ट्रिक कैब चलाने वाली सबसे बड़े कंपनी थी और ब्लूस्मार्ट की फ्लीट के खड़ा हो जाने से टाटा और सिट्रोइन जैसी उन कंपनियों को बड़ा नुकसान हो रहा है जिनके साथ ब्लूस्मार्ट ने परचेज डील की थी। ब्लूस्मार्ट ने जब 18 हजार ईवी के लिए परचेज डील की थी तब इसे खासतौर पर टाटा मोटर्स के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा था। इस डील में से 9 हजार से ज्यादा गाडिय़ां तो डिलीवर ही नहीं पाईं। इन 18 हजार में से टाटा मोटर्स के पास 13500 यूनिट्स का ऑर्डर था जबकि फ्रांस की सिट्रोइन के पास 4 हजार यूनिट्स का। अब तक टाटा ने लगभग 7,500 गाडियां डिलीवर की हैं जिनमें ज्यादातर ई-टिगोर और एक्सप्रेस-टी मॉडल हैं। जबकि सिट्रोइन ने 500 से कम ई-सी3 यूनिट्स की डिलीवरी दी है। 18 हजार यूनिट्स की इस डील का थोड़ा बहुत हिस्सा एमजी मोटर, बीवाईडी, महिंद्रा, ह्यूंदे और ऑडी को मिला था। इंडस्ट्री रिपोर्ट कहती हैं कि टाटा और सिट्रोइन ने ब्लूस्मार्ट के ऑर्डर को राइट ऑफ कर दिया है। चूंकि ब्लूस्मार्ट की हजारों यूज्ड कैब सेकंड-हैंड मार्केट में आ रही है इसलिए ईवी के लिए फ्लीट ऑपरेटर्स की डिमांड ही खत्म हो गई है। ब्लूस्मार्ट के इस स्कैम से भारत के ईवी इकोसिस्टम में शॉकवेव ट्रिगर हो गई है क्योंकि 2024 में ईवी सेल्स में वैसे ही फ्लेट ग्रोथ रही थी। माना जा रहा था कि कंज्यूमर सैगमेंट में जो घाटा होगा उसकी भरपाई ब्लूस्मार्ट जैसे फ्लीट ऑपरेटरों से हो सकती है लेकिन अब वो उम्मीद भी नहीं रही। भारत में अभी केवल 6 हजार ईवी कैब चल रही हैं। वैसे भी ओला, ऊबर आदि ने ईवी में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं लिया है। इनका मानना है कि ईवी कैब में ज्यादा रिटर्न नहीं मिल रहा है क्योंकि ईवी की ऑपरेटिंग कॉस्ट सीएनजी के बराबर करीब 3 रुपये किलोमीटर ही पड़ती है। ऐसे में 3-4 लाख रुपये प्रीमियम का तुक समझ नहीं आता। ब्लूस्मार्ट ने पहले 2025 तक 1 लाख  ईवी सडक़ पर उतारने का टार्गेट रखा था। हालांकि 2024 के अंत में कंपनी 8,500 ईवी की फ्लीट को मैनेज कर रही थी। इंडस्ट्री रिपोर्ट कहती हैं कि पीएम-ईड्राइव स्कीम के बाद से फ्लीट के लिए लॉर्ज वॉल्यूम ईवी की डिमांड लगभग गायब हो गई है। एनेलिस्ट के अनुसार ब्लूस्मार्ट के स्पॉइलस्पोर्ट से ईवी में डिस्काउंटिग का दौर शुरु हो सकता है क्योंकि कंपनियों और डीलरों के हाथ में पहले से ही स्टॉक है। ब्लूस्मार्ट के को-फाउंडर अनमोल सिंह जग्गी ने 2023 में एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी फ्लीट में 80 परसेंट से ज्यादा गाडिय़ां टाटा मोटर्स की हैं। टाटा मोटर्स ने वर्ष 2022 में 23 हजार और 2023 में 26 हजार ईवी फ्लीट सैगमेंट में बेची थीं। लेकिन 2024 में कंपनी की फ्लीट सेल्स केवल 2 हजार यूनिट्स रह गई।


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