सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर खरीदारों को अपनी शिकायतों के लिए बिल्डरों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है और यह मानहानि (Defamation) नहीं है। न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि आवश्यक तत्वों के बिना इसे आपराधिक अपराध के रूप में चित्रित करने का कोई भी प्रयास प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग होगा और इसे ‘‘शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘कानून का उल्लंघन किए बिना शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार उपभोक्ताओं के पास होना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे विक्रेता को वाणिज्यिक वर्णन का अधिकार प्राप्त है।’’ यह टिप्पणी उस समय की गई जब पीठ ने डेवलपर की सेवाओं से असंतुष्ट होने के बैनर लगाने के मामले में घर खरीदारों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला खारिज कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘हमने पाया कि अपीलकर्ताओं द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित था तथा उन्होंने किसी भी तरह से आपत्तिजनक या अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया। यह नहीं कहा जा सकता कि अपीलकर्ताओं ने लक्ष्मणरेखा पार की।’’सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर खरीदने वालों ने डेवलपर के खिलाफ किसी अभद्र या असंयमित भाषा का प्रयोग नहीं किया। घर खरीदारों ने बिल्डर द्वारा दायर मानहानि मामले में जारी समन को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। मुंबई में बोरीवली मजिस्ट्रेट अदालत ने 4 अक्टूबर 2016 को शिकायत की पड़ताल करने और शिकायतकर्ता के बयान की पुष्टि करने के बाद घर खरीदारों के खिलाफ समन जारी किया। इसके बाद घर खरीदारों ने शिकायत और समन को रद्द कराने के लिए बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया, लेकिन असफल रहे।