इंडिया इंक के बड़े दबाव के बावजूद मोदी सरकार ने भारत को चीनी कंपनियों का मैन्युफैक्चरिंग बेस बनने से रोकने के लिए जो कदम उठाए वो अब ब्लैसिंग इन डिस्गाइज (छुपे रूप में मिला खुशी का कारण) साबित हो रहे हैं। ट्रंप ने चीन, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया आदि के मुकाबले काफी कम टैरिफ लगाया है। इसका कारण ट्रंप को यह अहसास होना है कि एशिया के अन्य देशों की तरह भारत के जरिए चीन अपने एक्सपोर्ट को रीरूट नहीं कर रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत पर असर चीन, वियतनाम, थाईलैंड और कंबोडिया आदि देशों के मुकाबले कम पड़ेगा। और एशिया के इन देशों के मुकाबले कम टैरिफ के कारण भारत, मलेशिया और फिलीपिंस फायदे में रहेंगे। भारत के कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने चीन की ईवी कंपनी बीवाईडी के इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग प्रॉजेक्ट को अप्रूव करने से मना कर दिया था। मूडीज के अनुसार अमेरिका-चीन के बीच छिड़े ट्रेडवॉर से ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ रेट पर निगेटिव असर पड़ेगा और एशिया भी इससे बच नहीं पाएगा। लेकिन मलेशिया, भारत और फिलीपींस को अमेरिका को एक्सपोर्ट के लिहाज से फायदा होगा क्योंकि इन पर चीन, कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड आदि के मुकाबले कम टैरिफ लगाया गया है। ऐसे में कम टैरिफ वाले ये देश शॉर्ट टर्म में अमेरिकी मार्केट में अपना दखल बढ़ा सकते हैं। मलेशिया, भारत और फिलीपींस रेसिप्रोकल टैरिफ की 10 से 30 परसेंट वाली मिड रेंज में हैं। वैसे भी भारत का घरेलू मार्केट बहुत बड़ा है ऐसे में कैटेगरी और प्रॉडक्ट टार्गेट कर एक्सपोर्ट बढ़ाने की कोशिश की जाती है तो शॉर्ट टर्म यानी कुछ साल फायदा उठाया जा सकता है।