क्या आप जानते हैं कि यंग इन्डियंस की स्पेंडिंग हैबिट्स क्या हैं? नहीं नहीं, गैजेट्स या नये आउटफिट्स नहीं, स्नैक्स, कैब बुकिंग या अन्य लो वैल्यू स्पेंड। जी हां, डेली स्पेंडिंग के रूल्स को यंग इन्डियंस फिर से डिफाइन कर रहे हैं। सुपर.मनी की रिपोर्ट के अनुसार जैन जी वह पीढ़ी है, जिसने गत एक वर्ष में लाखों यूपीआई ट्रांजेक्शंस किये हैं। बड़ी बात यह है कि यह पेमेंट कम राशि के थे। 72 प्रतिशत की आयु 30 वर्ष से कम है और वे महिने में करीब 50 डिजिटल पेमेंट तो कर ही लेते हैं। अधिकांश 200 ट्रांजेक्शंस प्रतिमाह करने वाली श्रेणी में आ रहे हैं। यह वह जैनरेशन हैं जो क्यूआर कोड के भरोसे हैं और लो-वैल्यू स्पेंड में माहिर। 76 प्रतिशत तो केवल 200 रुपये के ट्रांजेक्शंस में ही सब्र कर लेती है। वह किसमें, स्मॉल ट्रीट्स, ग्रॉसरी या दैनिक उपयोग वाली चीजों पर। डिजिटल पेमेंट उनकी पहली पसंद है और वैल्यू भी छोटी। रिपोर्ट के अनुसार इससे हम जैन जी के डेली के बिहेवोरियल ट्रेंड्स की क्लियर पिक्चर देख रहे हैं। वे मिडनाइट से सवेरे 6 बजे तक सबसे ज्यादा फूड आइटम ऑर्डर करते हैं। स्टडी के अनुसार सवेरे 6-11 बजे तक सबसे ज्यादा ग्रॉसरी परचेज होती है। सुपरमार्केट परचेज में ग्रॉसरी डिलीवरी सबसे ऊपर है। स्टडी के अनुसार प्लान्ड बाइंग शिफ्ट के दौर से गुजर रही है और नेबरहुड स्टोर्स से बाइंग बढ़ रही है यानि कि कन्वीनियंस बाइंग पर शिफ्ट है। शुक्रवार के दिन शाम 7-8 बजे तक बाइंग पैटर्न सबसे ज्यादा रहता है। यह भी देखने वाली बात है कि यूपीआई पेमेंट में मैट्रो ही नहीं, टीयर टू और टीयर फोर सिटीज का योगदान करीब 41 प्रतिशत है। कन्याकुमारी और टिनसुकिया डिजिटल पेमेंट हॉटस्पॉट्स के रूप में नये इमर्ज हुए हैं। इससे यह पता चलता है कि अरबन इन्डिया के बाद यूपीआई कितना आगे बढ़ चुका है। स्टडी से यह भी पता चला कि यंग इन्डियंस की उधार के प्रति सोच कैसी है। 45 प्रतिशत के्रडिट के लिये नये यूजर्स है, वे एफडी बैक्ड सिक्योर्ड कार्ड्स को प्रीफर करते हैं। यानि कि सावधानी से के्रडिट वल्र्ड में एंट्री करना पसंद करते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि वे नहीं चाहते हैं मैनेज नहीं किया जा सकने वाली ऋण राशि का भार उन पर चढ़ जाये। पूरी स्टडी जैनरेशन जेड की स्पेंडिंग और लोन राशि को लेकर सोच पर आधारित है।