कॉपर वाकई पार्टी पूपर यानी स्पॉइलस्पोर्ट यानी मजा किरकिरा करने के लिए कमर कस चुका है। एडवांस टेक के लिए क्रिटिकल इनपुट गोल्ड और सिल्वर तो आसमान छू रहे हैं और कॉपर भी इसी होड़ में शामिल हो चुका है। लेटेस्ट रिपोर्ट कहती हैं कि कॉपर की प्राइस 12 हजार डॉलर/मीट्रिक टन (करीब 1 हजार रुपये किलो) के स्तर के करीब पहुंच रही हैं। कारण इलेक्ट्रोनिक्स और ईवी के लिए गोल्ड और सिल्वर जरूरी है वैसे ही एआई डेटा सेंटर के लिए कॉपर। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पावर देने वाले डेटा सेंटर कॉपर को हवा दे रहे हैं। वर्ष 2020 में ग्लोबल डेटा सेंटर कैपेसिटी केवल 3 मिलियन जीपीयू (ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट) थी जो वर्ष 2025 में 19.5 मिलियन और 2030 तक 45 मिलियन जीपीयू तक पहुंच जाएगी। डेटा सेंटर से कॉपर की डिमांड तेजी से बढ़ रही है लेकिन सिल्वर की तरह यह भी शॉर्ट सप्लाई है। यहां तक कि 10 लाख टन कैपेसिटी का अडानी ग्रुप का प्लांट भी बहुत कम कैपेसिटी पर चल पा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार लेटिन अमेरिका से लेकर इंडोनेशिया तक कॉपर की खदानें रीत रही हैं और जितनी तेजी से डिमांड बढ़ रही है उतनी तेजी से नई कॉपर माइन्स पर इंवेस्टमेंट नहीं हो रहा है। नतीजा सिल्वर की तरह कॉपर की डिमांड और सप्लाई में 36 का आंकड़ा बना हुआ है। बात सिर्फ एआई डेंट सेटर की ही नहीं बल्कि पावर ग्रिड से लेकर ईवी और इलेक्ट्रिक एप्लायंस तक कॉपर की डिमांड बढ़ रही है। और जैसे-जैसे अर्बनाइजेशन (शहरीकरण) बढ़ रहा है घरेलू लाइटिंग भी एक बड़ा ग्रोथ फैक्टर बन रही है। अकेले वर्ष 2025 में ही कॉपर प्राइस 35 परसेंट तक बढ चुकी है। यह 2009 के बाद की सबसे बड़ी सालाना बढ़त हैं। इसकी वजह माइनिंग में आई रुकावटें और अमेरिका में स्टॉक पाइलिंग है। बेंचमार्क मिनरल इंटेलिजेंस (बीएमआई) के एनेलिस्ट डान डे योंगे के अनुसार वे इंवेस्टर जो एआई से जुड़े व्यापक सेक्टर में निवेश करना चाहते हैं, वे ऐसे असैट्स में भी इंवेस्ट करेंगे जो डेटा सेंटर के लिए क्रिटिकल इनपुट हैं। यानी एआई इंवेस्टर के लिए कॉपर और इसके ईटीएफ हॉट असैट बन रहे हैं। कनाडा की स्प्रॉट असैट मैनेजमेंट ने वर्ष 2024 के मध्य में दुनिया का पहला फिजिकली बैक्ड कॉपर ईटीएफ लॉन्च किया था। इस फंड के पास लगभग 10 हजार टन फिजिकल कॉपर है। अकेले वर्ष 2025 में ही यह फंड करीब 46 परसेंट चढक़र लगभग 14 कनाडियन डॉलर प्रति यूनिट तक पहुंच गया है। एनेलिस्ट्स के अनुसार कॉपर मार्केट में इस साल 1.24 लाख टन और अगले साल 1.50 लाख टन की शॉर्ट सप्लाई रहने की संभावना है। मैक्वॉरी के अनुसार, वर्ष 2025 में ग्लोबल कॉपर डिमांड 28 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो 2024 के मुकाबले 2.7% अधिक है। दुनिया के सबसे बड़े कॉपर कंज्यूमर चीन में ईवी और सोलर स्लोडाउन के बावजूद डिमांड 3.7 परसेंट बढऩे की उम्मीद है। एक्सचेंज वेयरहाउसों — लंदन मेटल एक्सचेंज, अमेरिकी कोमेक्स और शंघाई फ्यूचर्स एक्सचेंज में स्टोर कुल कॉपर 54 परसेंट बढक़र 661,021 टन हो गया है।
