भारत की शीर्ष सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनियों ने अप्रैल-जून में सिंगल-डिजिट की रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की, जिससे तिमाही मिलीजुली और कुछ हद तक निराशाजनक रही। व्यापक आर्थिक अस्थिरता और जियापोलिटिकल तनावों ने ग्लोबल आईटी की मांग पर दबाव डाला और ग्राहकों ने निर्णय लेने में देरी की। विभिन्न कंपनियों के मेनेजमेंट की टिप्पणियों ने मिश्रित तस्वीर पेश की, सतर्कता बरती गई, फिर भी उद्योग के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) ने लागत अनुकूलन, विक्रेता समेकन और एआई में बदलाव के अवसरों पर जोर दिया। एक्सिस सिक्योरिटीज ने इन्फोसिस पर अपने परिणाम समीक्षा लिखते हुए कहा कि अनसुलझे शुल्क मुद्दे और भू-राजनीतिक तनाव के कारण कुल मिलाकर कारोबारी माहौल अनिश्चित बना हुआ है, जिससे ग्राहक विवेकाधीन खर्च को लेकर सतर्क हो रहे हैं और निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज को उम्मीद है कि वृहद अनिश्चितता के कारण अगले एक दो क्वार्टर्स तक मांग का माहौल चुनौतीपूर्ण बना रहेगा। नुवामा ने इन्फोसिस के परिणामों के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि टियर-1 आईटी सर्विसेज फर्मों के लिए पहली तिमाही की कमाई का सीजन समाप्त हो गया है। टीसीएस का रेवेन्यू सालाना आधार पर 1.3 प्रतिशत बढक़र 63,437 करोड़ रुपये हो गया, जबकि लाभ 5.9 प्रतिशत बढक़र 12,760 करोड़ रुपये हो गया। बेंगलुरु मुख्यालय वाली इन्फोसिस का रेवेन्यू 7.5 प्रतिशत बढक़र 42,279 करोड़ रुपये हो गया, जबकि शुद्ध लाभ 6,921 करोड़ रुपये रहा, जो 8.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। विप्रो का रेवेन्यू पहली तिमाही में 0.77 प्रतिशत बढक़र 22,135 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन इसका लाभ 9.8 प्रतिशत की तेज वृद्धि के साथ 3,336.5 करोड़ रुपये हो गया। सकारात्मक बात यह रही कि इन्फोसिस ने 3.8 अरब डॉलर के बड़े सौदे हासिल किए और चालू वित्त वर्ष के लिए रेवेन्यू ग्रोथ के अपने अनुमान को 0-3 प्रतिशत से बढ़ाकर 1-3 प्रतिशत कर दिया। ग्राहकों का ध्यान लागत और दक्षता पर अत्यधिक केंद्रित है, जो व्यापक आर्थिक स्थिति से प्रभावित सतत सतर्कता को दर्शाता है।