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29-07-2025

5 वर्ष में 226 प्रतिशत बढ़ गया इस म्यूचुअल फंड कैटेगरी का AUM

  •  रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) बीते पांच वर्षों में 226.25 प्रतिशत बढक़र जून 2025 तक 31,973 करोड़ रुपए हो गया है, जो कि जून 2020 में 9,800 करोड़ रुपए था।  क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक,  ट्रांसपेरेंसी में बढ़ोतरी और इंवेस्टर सेफ्टी रेगुलेशन ने रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में मदद की है। रिपोर्ट में कहा गया कि लोगों में फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर बढ़ती जागरूकता और रिटायरमेंट को लेकर अधिक फंड एकत्र करने की चाहत के साथ ही हाई लाइफ एक्सपेक्टेंसी एवं बढ़ी हुई हैल्थकेयर कॉस्ट के कारण भारत में वृद्ध होती आबादी म्यूचुअल फंड सहित रिटायरमेंट-केंद्रित निवेश उत्पादों की ओर आकर्षित हो रही है। रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड एक विशेष प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम होती है, जो कि रिटायरमेंट के लिए धन एकत्रित करने पर विशेष रूप से केंद्रित होती है। आईसीआरए एनालिटिक्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बाजार डेटा प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा, बाजार में सुधार और वृद्धि के प्रति आशावाद के कारण इक्विटी म्यूचुअल फंडों में काफी निवेश हुआ है। यह लंबी अवधि के रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स के लिए भी अच्छा है। उन्होंने आगे कहा कि पारदर्शिता में बढ़ोतरी और निवेशक सुरक्षा रेगुलेशन ने रिटायरमेंट के लिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए निवेशकों में आत्मविश्वास पैदा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स में कुल फोलियो की संख्या जून 2025 में 18.21 प्रतिशत बढक़र 30.09 लाख हो गई है, जो जून 2020 में 25.46 लाख थी। रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स की संख्या जून 2025 में बढक़र 29 हो गई है, जो जून 2020 में 24 थी। रिपोर्ट में कहा गया कि इन फंड्स पर औसत चक्रवृद्धि वार्षिक रिटर्न क्रमश: 1 वर्ष, 3 वर्ष और 5 वर्ष की अवधि के लिए 6.79 प्रतिशत, 15.72 प्रतिशत और 14.64 प्रतिशत रहा। रिटायरमेंट फंड म्यूचुअल फंड डेट और इक्विटी दोनों में निवेश करते हैं। डेट सेगमेंट स्थिरता और धन संरक्षण की गारंटी देता है, जबकि इक्विटी सेगमेंट धन वृद्धि को बढ़ावा देता है। रिपोर्ट के अनुसार, इन फंडों की लॉक-इन अवधि पांच वर्ष या रिटायरमेंट तक होता है और ये रिटायरमेंट के बाद नियमित मासिक आय न होने पर आय का एक निरंतर प्रवाह प्रदान करने में मदद करते हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म और रोबो-सलाहकारों के उदय ने रिटायरमेंट निवेश को और अधिक आसान बना दिया है।

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5 वर्ष में 226 प्रतिशत बढ़ गया इस म्यूचुअल फंड कैटेगरी का AUM

 रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) बीते पांच वर्षों में 226.25 प्रतिशत बढक़र जून 2025 तक 31,973 करोड़ रुपए हो गया है, जो कि जून 2020 में 9,800 करोड़ रुपए था।  क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक,  ट्रांसपेरेंसी में बढ़ोतरी और इंवेस्टर सेफ्टी रेगुलेशन ने रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में मदद की है। रिपोर्ट में कहा गया कि लोगों में फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर बढ़ती जागरूकता और रिटायरमेंट को लेकर अधिक फंड एकत्र करने की चाहत के साथ ही हाई लाइफ एक्सपेक्टेंसी एवं बढ़ी हुई हैल्थकेयर कॉस्ट के कारण भारत में वृद्ध होती आबादी म्यूचुअल फंड सहित रिटायरमेंट-केंद्रित निवेश उत्पादों की ओर आकर्षित हो रही है। रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड एक विशेष प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम होती है, जो कि रिटायरमेंट के लिए धन एकत्रित करने पर विशेष रूप से केंद्रित होती है। आईसीआरए एनालिटिक्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बाजार डेटा प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा, बाजार में सुधार और वृद्धि के प्रति आशावाद के कारण इक्विटी म्यूचुअल फंडों में काफी निवेश हुआ है। यह लंबी अवधि के रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स के लिए भी अच्छा है। उन्होंने आगे कहा कि पारदर्शिता में बढ़ोतरी और निवेशक सुरक्षा रेगुलेशन ने रिटायरमेंट के लिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए निवेशकों में आत्मविश्वास पैदा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स में कुल फोलियो की संख्या जून 2025 में 18.21 प्रतिशत बढक़र 30.09 लाख हो गई है, जो जून 2020 में 25.46 लाख थी। रिटायरमेंट केंद्रित म्यूचुअल फंड्स की संख्या जून 2025 में बढक़र 29 हो गई है, जो जून 2020 में 24 थी। रिपोर्ट में कहा गया कि इन फंड्स पर औसत चक्रवृद्धि वार्षिक रिटर्न क्रमश: 1 वर्ष, 3 वर्ष और 5 वर्ष की अवधि के लिए 6.79 प्रतिशत, 15.72 प्रतिशत और 14.64 प्रतिशत रहा। रिटायरमेंट फंड म्यूचुअल फंड डेट और इक्विटी दोनों में निवेश करते हैं। डेट सेगमेंट स्थिरता और धन संरक्षण की गारंटी देता है, जबकि इक्विटी सेगमेंट धन वृद्धि को बढ़ावा देता है। रिपोर्ट के अनुसार, इन फंडों की लॉक-इन अवधि पांच वर्ष या रिटायरमेंट तक होता है और ये रिटायरमेंट के बाद नियमित मासिक आय न होने पर आय का एक निरंतर प्रवाह प्रदान करने में मदद करते हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म और रोबो-सलाहकारों के उदय ने रिटायरमेंट निवेश को और अधिक आसान बना दिया है।


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