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26-07-2025

सेबी जुर्माना चूक मामले में अदालत ने एक कंपनी के दो निदेशकों को छह महीने की सजा सुनाई

  •  एक विशेष अदालत ने आभूषण फैशन एक्सेसरीज क्षेत्र से जुड़ी फर्म एम बेले इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशकों को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा लगाए गए एक करोड़ रुपये के जुर्माने को जमा करने में विफल रहने पर छह महीने के कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश आर एम जाधव ने 19 जुलाई को पारित एक आदेश में गोपू बेलानी और अनुपमा मोटवानी को दोषी ठहराया और उन्हें सज़ा सुनाई। साथ ही, नियामक द्वारा मूल रूप से लगाए गए जुर्माने का भुगतान न करने पर उन्हें एक-एक करोड़ रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। सेबी ने 2014 में कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ सेबी अधिनियम, 1992 के तहत दंडनीय अपराध के लिए मामला दर्ज किया था। नियामक ने रूफिट इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयर मूल्यों के लेन-देन की जांच करते हुए, एम बेले इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को अधिनियम की धारा 11सी (3) के तहत जांच से संबंधित कुछ जानकारी देने के लिए कहा था। उक्त प्रावधान के अनुसार, सेबी प्रतिभूति बाजार से जुड़े व्यक्तियों या संस्थाओं को जांच के दौरान उनके समक्ष जानकारी देने के लिए बाध्य कर सकता है। एम बेले इंटरनेशनल पर 30 जून, 2004 के एक न्यायनिर्णयन आदेश के माध्यम से एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, क्योंकि कंपनी रूफिट इंडस्ट्रीज के शेयर मूल्यों की जांच के दौरान जानकारी देने में विफल रही थी।  अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि दोषी ठहराए गए निदेशक कंपनी द्वारा जुर्माना अदा न करने के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी थे।

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सेबी जुर्माना चूक मामले में अदालत ने एक कंपनी के दो निदेशकों को छह महीने की सजा सुनाई

 एक विशेष अदालत ने आभूषण फैशन एक्सेसरीज क्षेत्र से जुड़ी फर्म एम बेले इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशकों को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा लगाए गए एक करोड़ रुपये के जुर्माने को जमा करने में विफल रहने पर छह महीने के कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश आर एम जाधव ने 19 जुलाई को पारित एक आदेश में गोपू बेलानी और अनुपमा मोटवानी को दोषी ठहराया और उन्हें सज़ा सुनाई। साथ ही, नियामक द्वारा मूल रूप से लगाए गए जुर्माने का भुगतान न करने पर उन्हें एक-एक करोड़ रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। सेबी ने 2014 में कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ सेबी अधिनियम, 1992 के तहत दंडनीय अपराध के लिए मामला दर्ज किया था। नियामक ने रूफिट इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयर मूल्यों के लेन-देन की जांच करते हुए, एम बेले इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को अधिनियम की धारा 11सी (3) के तहत जांच से संबंधित कुछ जानकारी देने के लिए कहा था। उक्त प्रावधान के अनुसार, सेबी प्रतिभूति बाजार से जुड़े व्यक्तियों या संस्थाओं को जांच के दौरान उनके समक्ष जानकारी देने के लिए बाध्य कर सकता है। एम बेले इंटरनेशनल पर 30 जून, 2004 के एक न्यायनिर्णयन आदेश के माध्यम से एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, क्योंकि कंपनी रूफिट इंडस्ट्रीज के शेयर मूल्यों की जांच के दौरान जानकारी देने में विफल रही थी।  अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि दोषी ठहराए गए निदेशक कंपनी द्वारा जुर्माना अदा न करने के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी थे।


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