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Daily Business Newspaper
‘‘दृष्टव्य है कि क्रोध से भ्रम पैदा होता है और भम्र से बुद्धि व्यग्र होती है जो मनुष्य के पतन का कारण है।’’
There is little pleasure in the world that is true and sincere beside the pleasure of doing our duty and doing good.
नये पूंजीवादी सिस्टम के सृजन-विसर्जन का आधार बन चुके देश के शेयर बाजारों की चाल व दिशा को जिस तरह हर दिन निकलने के साथ समझना कठिन होता जा रहा है, उसके ढ़ेरों......
संसार का हर जीव जानता है कि जीवन अनित्य है। समय अविरल गति से संसार का परिभ्रमण कर रहा है। हमें संसार में जो कुछ दिखायी दे रहा है वह एक दिन अवश्य नष्ट हो...
प्रकृति एवं परिश्रम प्रधान समाज व्यवस्था के स्थान पर अर्थ एवं आराम प्रधान समाज व्यवस्था में परिवर्तन के जिस संक्रमण काल से हम गुजर रहे हैं उसका लम्बी अवधि के...
गत कुछ अर्से से हम सिस्टम में ऐसी प्रक्रिया का गठन होते देख रहे हैं जिसमें 60 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति ही हर कुछ माह के अंतराल या सालाना अपना Body Checkup......
जिस प्रकार राजनेताओं के मुंह से निकले हुए विरोधाभासी शब्द सिस्टम में भूचाल लाते हुए आमजन के लिए मनोरंजन का नया माध्यम बनते हुए इन दिनों लोकसभा के चुनावों के......