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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi
‘‘दृष्टव्य है कि क्रोध से भ्रम पैदा होता है और भम्र से बुद्धि व्यग्र होती है जो मनुष्य के पतन का कारण है।’’
Real happiness is cheap enough, yet how dearly we pay for its counterfeit.
प्रकृति प्रधान से अर्थ प्रधान विकास यानि अविकसित से विकासशील अर्थव्यवस्था या Old के स्थान पर Modern India अथवा 20वीं सदी से 21वीं सदी के भारत में परिवर्तन के......
कहते हैं कि जिस घर में अधर्म का प्रवेश हो जाता है, वहां कितना भी वैभव रहे, उसका नष्ट होना अवश्यसंभावी है। धर्म से वंश का विस्तार होता है लेकिन अधर्म कई...
प्रकृति के स्थान पर अर्थ प्रधान विकास के जिस संक्रमण काल से हम गुजर रहे हैं उसे साधारण (Normal) के स्थान पर असाधारण (Abnormal) परिवर्तन एवं उससे पैदा होने...
जिस तरह ग्लोबलाईजेशन की व्यवस्था को अपनाने के बाद हम राजनीतिक, आर्थिक, भौगोलिक, कारोबारी एवं सामाजिक विचलन के घटनाक्रमों के आधिक्य के साथ नोलेज के स्थापना काल......
प्रकृति के समान स्थिर रुपैये के दौर से गति प्रधान रुपैये के जिस दौर में प्रवेश कर हम आगे बढ़ रहे हैं उसे ऐसी मास्टरों के बदलने की व्यवस्था कहा जाता है जिसमें......