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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi
‘‘दृष्टव्य है कि क्रोध से भ्रम पैदा होता है और भम्र से बुद्धि व्यग्र होती है जो मनुष्य के पतन का कारण है।’’
When I can no longer bear to think of the victims of broken homes, I begin to think of the victims of intact ones.
जिस तरह अर्थ प्रधान विकास का दौर Polluted Environment (प्रदूषण युक्त वातावरण) का सृजन करता है ठीक उसी तरह Money Economy की व्यापकता...
यह संसार एक उद्यान है जहां अनेक प्रकार के पुष्प खिलते हैं। उनमें कुछ सुगंधित होते हैं तथा कुछ निर्जीव व कंटीले होते हैं तो कुछ में सुगंध नहीं होती फिर भी...
विकास के नये दौर को हम जिस तरह Labour v/s Leisure (परिश्रम के स्थान पर आराम) इकोनॉमी और उससे पैदा होने वाली बेरोजगारी बढ़ाने वाली समाज व्यवस्था के नाम से...
जब कोई देश Global Capitalist System की व्यवस्था को अपना लेता है तो वहां पूंजी प्रधान ऐसे अनेक घटनाक्रम घटित होते चले जाते हैं जो दिखने में व्यक्ति की सफलता......
जब कोई देश Creative के स्थान पर Distributive Capitalism या जो रुपैया जमा है उसे ही नहीं वरन अप्रत्याशित उधार लेकर विकास करने की प्रक्रिया को अपनाते हुए गति......